शहर के भीड़भाड़ में, हॉर्न की कर्कश आवाजों के बीच थक चला हूँ मैं। शहर के भीड़भाड़ में, हॉर्न की कर्कश आवाजों के बीच थक चला हूँ मैं।
उन धवल श्वेत से वस्त्रों में वह ईश्वर की जीवित मूर्ति नजर आते हैं।। उन धवल श्वेत से वस्त्रों में वह ईश्वर की जीवित मूर्ति नजर आते हैं।।
मैं नारी हूँ ईश्वर का दिया हुआ अमूल्य वरदान। मैं नारी हूँ ईश्वर का दिया हुआ अमूल्य वरदान।
आजा फिर से घर घर खेलें गुड्डे गुड्डी का ब्याह रचाएं। आजा फिर से घर घर खेलें गुड्डे गुड्डी का ब्याह रचाएं।
अंधेरे बंद कमरों में उतर आती हैं परछाइयां, दीवारों से रेंगती हुई। अंधेरे बंद कमरों में उतर आती हैं परछाइयां, दीवारों से रेंगती हुई।
भूख अजब है बीमारी, लगकर विवेक खा जाती है। उल्टे सीधे सारे जग के, कामो को वह करवाती भूख अजब है बीमारी, लगकर विवेक खा जाती है। उल्टे सीधे सारे जग के, कामो ...